Home > Work > दिग्विजय [Digvijaya]
1 " कर्म वही है जिससे कर्म के उद्देश्य की पूर्ति हो। उस प्रकार किया गया कर्म ही कर्मकाण्ड हो सकता है। "
― गुरुदत्त , दिग्विजय [Digvijaya]
2 " जब कर्मकाण्ड उद्देश्य-पूर्ति का विचार छोड़कर स्वतः करने योग्य कार्य बन जाता है, तब वह आडम्बर हो जाता है। "